Wednesday, September 30, 2009

नज्म : मासूम ना बना कीजिये

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चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी


आप यूँ मासूम ना बना कीजिये
ख़त मिल गया जवाब तो दीजिये ।

मेरी पहली मोहब्बत है यह सनम
कुछ कमी रही अगर बता तो दीजिये ।

हल्का हल्का सा नशा मेरी आंखों में है
नींद मेरी मुझे अब लौटा तो दीजिये ।

रूठ जाना कभी और लेकिन सनम
आज ज़रा सा मुस्करा तो दीजिये ।

न हो इंतज़ार बहाना तो कीजिये
नज़र से नज़र आज मिला तो दीजिये ।

4 comments:

  1. मेरी पहली मोहब्बत है यह सनम
    कुछ कमी रही तो बता दीजिये ।

    हल्का हल्का सा नशा मेरी आंखों में है
    नींद मेरी मुझे लौटा तो दीजिये ।
    बहुत खूब बधाई इस सुन्दर गज़ल के लिये

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  2. WAH
    आप यूँ मासूम ना बना कीजिये
    ख़त मिल गया तो जवाब दीजिये ।
    RAMESH SACHDEVA
    DIRECTOR
    HPS SR. SEC. SCHOOL
    SHERGARH (M.DABWALI)

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  3. लेखन अच्छा है. काफिये और रदीफ़ का सही इस्तेमाल करेंगे तो ग़ज़ल खूबसूरत भी होगी.

    लिखते रहें धन्यवाद!

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