

मुहब्बत एक जज्बा है, पैगाम आने भी दो ।
अगर तुम तलाश चुके, एक मौका हमें भी दो ॥
समुद्र में उठ्ती लहरें , छेड़ जाती हैं अकसर ।
खामोशी से तलाश कर, कुछ मोती हमें भी दो ।।
न होती यह मय की दुनियां, तो तुम क्या होते ।
सबक किसी से कर हांसिल, कुछ जवाब हमें भी दो॥
टूटे दिलों को भी क्या, कहीं सुकून मिलता है।
अतीत के उन पन्नों में, कुछ स्थान हमें भी दो॥
चक्रव्यूह तुम्हें इस बार, तोड्ना ही होगा अभिमन्यु।
मुहब्बत को मुकामों तक, पहुंचाने की आजादी हमें भी दो॥
बहुत सुन्दर गजल है बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिेए साधुवाद
ReplyDeleteचक्रव्यूह तुम्हें इस बार, तोड्ना ही होगा अभिमन्यु।
ReplyDeleteमुहब्बत को मुकामों तक, पहुंचाने की आजादी हमें भी दो॥
-बेहतरीन!