Sunday, June 6, 2010

नज्म : यादें

www.blogvani.com

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी




काम में, तमाम ज़िन्दिगी कट जाती है |
तन्हाई में उनकी याद, और उभर आती है ||

उन्होने न वफ़ा की, न बेवफ़ाई हमसे |
अपने को छुपाकर भी, परछाई नज़र आती है ||

दिल में दर्द, चेहरे पर तबस्सुम की लकीर |
किसी को पाने या खोने से, ज़िन्दगी बदल जाती है ||

बिछड्ती मंजिलों की ओर, हसरत भरी निगाहें |
कुछ न कर पाने पर, असहाय नज़र आती है ||

समय असमय, पुराने जख्मो की मीठी चुभन |
हमारी कहानी नई सी, नज़र आती है ||

प्रथम सम्मोहन की चिर स्म्रति |
तन्हाई में उनकी याद, और उभर आती है ||

No comments:

Post a Comment