

काम में, तमाम ज़िन्दिगी कट जाती है |
तन्हाई में उनकी याद, और उभर आती है ||
उन्होने न वफ़ा की, न बेवफ़ाई हमसे |
अपने को छुपाकर भी, परछाई नज़र आती है ||
दिल में दर्द, चेहरे पर तबस्सुम की लकीर |
किसी को पाने या खोने से, ज़िन्दगी बदल जाती है ||
बिछड्ती मंजिलों की ओर, हसरत भरी निगाहें |
कुछ न कर पाने पर, असहाय नज़र आती है ||
समय असमय, पुराने जख्मो की मीठी चुभन |
हमारी कहानी नई सी, नज़र आती है ||
प्रथम सम्मोहन की चिर स्म्रति |
तन्हाई में उनकी याद, और उभर आती है ||
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